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स्वागत है कोंपल क्रीड़ा में.......

स्वागत है कोंपल क्रीड़ा में.......


स्वागत है कोंपल क्रीड़ा में,
मन के उपवन को महकाओ।

जीवन है इक बाग सरीखा
रंग रंग के वृक्ष लगाओ।
एक वृक्ष हो पीपल जैसा
जिसके तल में छांव मिलेगा।
एक वृक्ष हो शीशम जैसा 
जिसके धर से नाव मिलेगा।

एक पौध हो तुलसी रानी
 जो तन को आरोग्य बनाए।
एक वृक्ष हो चंदन जैसा 
जो सर्पों को गले लगाए।
एक लता हो अमर बेल की 
जो मरूथल में भी जी पाए।

पुण्य भाव से व्यापक होकर
बेल के जैसे तुम हो जाओ।
तन में भले रहे कंटक 
किंतु फल में मिष्ठी लाओ।
स्वागत है कोंपल क्रीड़ा में,
मन के उपवन को महकाओ।।

©दीपक झा रुद्रा





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5 Comments

Swati chourasia

01-Apr-2023 02:21 PM

वाह बहुत ही खूबसूरत व बेहतरीन रचना 👌👌

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अदिति झा

01-Apr-2023 12:39 AM

V nice 👍🏼

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बहुत ही सुन्दर रचना 👌👌👏👏

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आत्मीय आभार

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